प्रेम की कोई
उम्र नहीं होती लेकिन
जो तुम्हारे प्रेम का बीज
मैंने बोया था कभी
वो तो उगा ही नहीं
आज उम्र के
इस पड़ाव पर
कौन से प्रेम की
दुहाई दे रहे हो
जो तुमने कभी
निभाया ही नहीं
किस हक से आना
चाहते हो दिल में
जिस प्रेम की हत्या
तुम कर चुके हो
उसकी सजा मैंने काटी है।
उम्र नहीं होती लेकिन
जो तुम्हारे प्रेम का बीज
मैंने बोया था कभी
वो तो उगा ही नहीं
आज उम्र के
इस पड़ाव पर
कौन से प्रेम की
दुहाई दे रहे हो
जो तुमने कभी
निभाया ही नहीं
किस हक से आना
चाहते हो दिल में
जिस प्रेम की हत्या
तुम कर चुके हो
उसकी सजा मैंने काटी है।
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