Wednesday, 24 September 2014

प्यार

जब भी आता है जिक्र
तेरा किसी बहाने से
महक जाता है रोम-रोम
वो प्यार, वो अदाएँ, वो तड़प
वो बेकरारी, वो वादें, वो कसमें
याद आ जाते हैं आज भी मुझे।

जब भी आता है जिक्र
तेरा किसी बहाने से
उमड़ पड़ते हैं गम के बादल
वो बेवफाई, वो तन्हाई, वो साजिशें
वो रुसवाई, वो पागलपन, वो दर्द
याद आ जाते हैं आज भी मुझे।

किसी को सच्चा प्यार नहीं मिलता
किसी को सच्चा यार नहीं मिलता,
मिल जाती है उन्हें तोहफे में मोहब्बत
'विनोद' जो इसका हकदार नहीं होता।
                          -विनोद खनगवाल

प्रेम

प्रेम की कोई
उम्र नहीं होती लेकिन
जो तुम्हारे प्रेम का बीज
मैंने बोया था कभी
वो तो उगा ही नहीं

आज उम्र के
इस पड़ाव पर
कौन से प्रेम की
दुहाई दे रहे हो
जो तुमने कभी
निभाया ही नहीं

किस हक से आना
चाहते हो दिल में
जिस प्रेम की हत्या
तुम कर चुके हो
उसकी सजा मैंने काटी है।